ENGLISH HINDI Saturday, October 18, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
राह की माटी पे कदमों के निशां बनते रहे असम में पत्रकारों पर हमलों को लेकर प्रेस एम्बलम कैंपेन ने जताई गहरी चिंता, दोषियों पर कार्रवाई की माँगरयात बाहरा विश्वविद्यालय में निवेशक जागरूकता कार्यक्रम ने छात्रों को सशक्त बनायाआ रहे हैं वो मेरे साईं...विश्व को दिशा देने में सक्षम है ब्रह्माकुमारी मिशन : ज्ञान चंद गुप्ताहिमाचल ने जीती महत्त्वपूर्ण कानूनी लड़ाई, वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से मिलेंगे 401 करोड़ रुपये48 घंटे में ही मुख्यमंत्री भूले स्व. वीरभद्र सिंह का सबक, 28 स्कूलों को लगाया ताला : जयराम ठाकुरप्रगतिशील किसान चौधरी विनोद ज्याणी को प्रधानमंत्री ने किया सम्मानित
हिमाचल प्रदेश

खैर के पेड़ के कटान से किसानों की आर्थिकी को संबल मिलेगा: मुख्यमंत्री

May 26, 2023 08:23 PM

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय ऐतिहासिक

 फेस2न्यूज/शिमला

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए प्रदेश के 10 वन मण्डलों मंे सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस मामले की पूरजोर वकालत की थी जिसके फलस्वरूप शीर्ष अदालत ने राज्य के वन विभाग के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानांे को खैर के पेड़ के दस वर्ष मंे कटान के कार्यक्रम से छूट देना चाहती है ताकि वे अपनी सुविधानुसार कटान कर सकंे इससे उनकी आर्थिकी को संबल मिलेगा। प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में खैर के पेड़ों के कटान के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है और इन वन मंडलों में प्रति वर्ष 16500 वृक्षों का कटान निर्धारित किया गया हैं। खैर का कटान शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा।

इस पेड़ को कत्थे का पेड़ भी कहा जाता है। कत्था पाचन मंे सहायक होता है। खैर से निकलने वाले गांेद का उपयोग दवा बनाने मंे किया जाता है। जंगली पौधा होने के कारण यह आसानी से उगाया जा सकता है। यह पौधा गर्म परिवेश मंे अच्छे से फलता-फूलता है और इसे अधिक देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसाना को केन्द्र मंे रखकर किसान हितैषी निर्णय और योजनाएं क्रियान्वित कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य के निचले क्षेत्रों में खैर के पेड़ों को व्यावसायिक रूप से उत्पादित करने से राज्य के राजस्व में तथा किसानांे की आय मंे वृद्वि होगी। प्रदेश के नाहन, पावंटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर और देहरा वन मंडलों के लिए शीघ्र ही कार्य योजना तैयार की जाएगी। इसके दृष्टिगत अधिकारी वनों के निरीक्षण शुरू करेंगे और इन वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए खैर के पेड़ों की गणना की जाएगी। खैर के पेड़ का उपयोग इसके औषधीय गुणों के कारण बहुतायत किया जाता है। इस पेड़ की छाल, पत्ते, जड़ और बीज मंे औषधीय गुण पाए जाते हैं। जलन को कम करने के लिए इसकी छाल का उपयोग किया जाता है।

इस पेड़ को कत्थे का पेड़ भी कहा जाता है। कत्था पाचन मंे सहायक होता है। खैर से निकलने वाले गांेद का उपयोग दवा बनाने मंे किया जाता है। जंगली पौधा होने के कारण यह आसानी से उगाया जा सकता है। यह पौधा गर्म परिवेश मंे अच्छे से फलता-फूलता है और इसे अधिक देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसाना को केन्द्र मंे रखकर किसान हितैषी निर्णय और योजनाएं क्रियान्वित कर रही है।

वैज्ञानिक और नियोजित तरीके से खैर का कटान वनों के बेहतर प्रबंधन मंे सहायक होता है। इससे पुराने पेड़ों के स्थान पर नए व स्वस्थ खैर के पौधे उगते हैं। खैर के वृक्षों का समय पर कटान न होने से अधिकांश पेड़ सड़ जाते हैं जिससे बेहतर वन प्रबंधन नहीं हो पाता। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में खैर के पेड़ के कटान के परिणामों को जानने के लिए प्रायोगिक आधार पर पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने वन विभाग की राय पर सहमति व्यक्त कर यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है।  

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें
 
और हिमाचल प्रदेश ख़बरें
हिमाचल ने जीती महत्त्वपूर्ण कानूनी लड़ाई, वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से मिलेंगे 401 करोड़ रुपये 48 घंटे में ही मुख्यमंत्री भूले स्व. वीरभद्र सिंह का सबक, 28 स्कूलों को लगाया ताला : जयराम ठाकुर हिमाचल के साथ केंद्र सरकार का सौतेला व्यवहारः प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी ने किया पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का अनावरण सोलन के वाकनाघाट में बनेगी साईबर सिटी: मुख्यमंत्री राज्यपाल ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव की सांस्कृतिक संध्या का किया शुभारम्भ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का शुभारम्भ, दशहरा पर्व आस्था, एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीकः शिव प्रताप शुक्ल हिमाचल को आधार फेस ऑथेंटिकेशन नवाचार के लिए राष्ट्रीय सम्मान हिमाचल सेब और नाश्पाती की खेती के लिए न्यूजीलैंड के साथ सहभागिता पर कर रहा विचार यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क का हिस्सा बनी स्पीति घाटी मानसून सीजन में प्रदेश को 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसानः राजस्व मंत्री