अक्टूबर में डेंगू का चरम, डॉक्टरों की अपील, लक्षण दिखते ही इलाज कराएं
फेस2न्यूज /पंचकूला
पारस हेल्थ पंचकूला ने डेंगू के केसों में ज्यादा बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई है। पिछले 10 दिनों में हॉस्पिटल में भर्ती लगभग आधे मरीजों में डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट आई है। इनमें से कई मरीजों की प्लेटलेट्स बहुत कम 20,000 से 50,000 प्रति माइक्रोलिटर पाई गई हैं। इतना कम प्लेटलेट्स आंतरिक ब्लीडिंग और गंभीर डेंगू का खतरा बढ़ा देती हैं। डेंगू के केसों में हुई बढ़ोत्तरी हरियाणा के बाकी हिस्सों जैसी ही है। इस सीज़न में राज्य में अब तक 1,000 से ज़्यादा डेंगू के केस सामने आ चुके हैं। रेवाड़ी, करनाल, रोहतक और गुरुग्राम जैसे ज़िले डेंगू से गंभीर रूप से प्रभावित हैं। सिर्फ पंचकूला में ही पिछले साल के अंत तक 1,200 से ज़्यादा केस दर्ज किए गए थे। एक्सपर्ट्स ने चेताया है कि अगर रोकथाम के उपाय तेज़ी से नहीं किए गए, तो शहर में उतना ही गंभीर या इससे भी बड़ा प्रकोप हो सकता है।
पारस हेल्थ के इंटरनल मेडिसिन एसोसिएट डॉयरेक्टर डॉ सुमित जैन ने बताया कि बदलते मौसम के पैटर्न की वजह से भी डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमे इस बार मानसून के बाद डेंगू के केसों में वृद्धि देखने को मिल रही है। इस मौसम में कम ज्यादा होता तापमान और आंशिक तौर पर ह्यूमिडिटी की वजह से मच्छरों का प्रजनन ज्यादा हो रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ज्यादातर मरीज इलाज़ कराने में देरी कर रहे हैं। डेंगू के लक्षणों को लोग वायरल बुखार समझ ले रहे हैं। समय से टेस्टिंग, हाइड्रेशन, और प्लेटलेट्स मॉनिटरिंग होने से गंभीर समस्या से बचा जा सकता है। सार्वजनिक सतर्कता, मच्छर भगाने वाली दवाओं का उपयोग, पानी के बर्तनों को ढककर रखना और स्वच्छता बनाए रखना डेंगू के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति है।
पारस हेल्थ के इन्फेक्शियस डिजीज के कंसल्टेंट डॉ नवनीत अरोरा ने बताया कि इस सीज़न की सामान्य संख्या की तुलना में डेंगू के मरीजों की हॉस्पिटल में भर्ती दो से तीन गुना बढ़ गई है। डॉक्टरों को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि ज़्यादातर मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट्स बहुत तेज़ी से गिर रहा है। जब प्लेटलेट्स 50,000 प्रति माइक्रोलिटर से कम हो जाती हैं, तो अंदरूनी ब्लीडिंग और शॉक का खतरा बहुत बढ़ जाता है। प्लेटलेट्स का इतनी तेजी से गिरना एक खतरनाक संकेत है। मानसून के बाद बनी नमी और रुका हुआ पानी एडीज मच्छरों के पनपने के लिए एक आदर्श माहौल बनाता है। डॉक्टर ने चेतावनी दी है कि अगर इस चक्र को तुरंत नहीं रोका गया, तो अगले दो हफ्तों में डेंगू के केस तेज़ी से बढ़ सकते हैं।
इस साल मलेरिया के केस बहुत कम हैं, लेकिन डेंगू शहर की सबसे प्रमुख संक्रामक बीमारी बन गया है। पारस हेल्थ पंचकुला के डॉक्टरों का कहना है कि समय पर पहचान, प्लेटलेट्स की सही समय पर जांच और हॉस्पिटल में इलाज जटिल समस्याओं से बचने के लिए बहुत ज़रूरी हैं। अगर किसी को लगातार तेज़ बुखार, तेज़ सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, बदन दर्द, स्किन पर चकत्ते या बिना कारण खून निकलने जैसे लक्षण हों, तो घरेलू इलाज या खुद दवा लेने की बजाय तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
पारस हेल्थ ने डेंगू के बढ़ते केसों को संभालने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाई है। हॉस्पिटल में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन यूनिट्स, इंटेंसिव केयर सपोर्ट और 24x7 निगरानी की व्यवस्था की गई है। फिर भी डॉक्टरों का कहना है कि केवल हॉस्पिटल की तैयारी से इस प्रकोप को नहीं रोका जा सकता। असली रोकथाम तो सामुदायिक स्तर पर की जाने वाली सावधानी से ही संभव है।
उत्तर भारत में अक्टूबर पारंपरिक रूप से डेंगू फैलने का सबसे ज्यादा समय होता है। इसी को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि लक्षण दिखते ही इलाज में देरी न करें। समय पर इलाज शुरू करना ही ठीक होने और जानलेवा कॉम्प्लिकेशन से बचने का सबसे असरदार तरीका है।