ENGLISH HINDI Tuesday, December 23, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
सीनियर स्टेट बास्केटबॉल चैंपियनशिप संपन्न, पुरुष एवं महिला वर्ग के फाइनल मुकाबलों में दिखा रोमांचशिमला प्रेसिडेंसी स्कूल, हरिदेवी में वार्षिक समारोह का किया गया आयोजनहोम्योपैथिक इलाज के प्रति लोगों का नजरिया बदला और विश्वास बढ़ा : डॉ. संदीप पुरीअमित शाह 24 दिसंबर को पंचकूला दौरे पर, मुख्यमंत्री सैनी के साथ कई अहम कार्यक्रमों में होंगे शामिलश्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को समर्पित समागम का हुआ आयोजनऑर्गेनिक उगाए, ऑर्गेनिक खाओ कार्यशाला का आयोजनसुभाष चंदर पलटा सर्वसम्मति से डब्ल्यूसी, सेक्टर 27-डी के अध्यक्ष नियुक्तबांग्लादेश में हिन्दुओं की रक्षा के लिए चावल, नमक और नदियों के पानियों की आपूर्ति तुरंत बंद कर देनी चाहिए : डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया
एस्ट्रोलॉजी

पूर्णिमा: कैसे करें सुबह की शुरुआत गुरु के दिन

July 12, 2022 10:13 PM

पंडित सुंदर लाल भार्गव(9811213630)

चंडीगढ़: बुधवार को गुरुपूर्णिमा है। इस दिन सुबह बिस्तर पर प्रार्थना करना ‘‘हे महान पूर्णिमा ! हे गुरुपूर्णिमा! इस देह की सम्पूर्ण असली आवश्यकता की तरफ हम आज से कदम रख रहे हैं। उसी समय ध्यान करना। शरीर बिस्तर छोड़े उसके पहले अपने प्रियतम को मिलना।

गुरुदेव का मानसिक पूजन करना। वे तुम्हारे मन की दशा देखकर भीतर-ही-भीतर संतुष्ट होकर अपनी अनुभूति की झलक से तुम्हें आलोकित कर देंगे। उनके पास उधार नहीं है, वे तो नगदधर्मा हैं,इसलिए जरूरी है जीवन में गुरु का होना। हिंदू धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा गुरु भक्ति को समर्पित गुरु पूर्णिमा का पवित्र दिन भी है। भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना है। वास्तव में यह दिन गुरु के रूप में ज्ञान की पूजा का है।

गुरु का जीवन में उतना ही महत्व है, जितना माता-पिता का। माता-पिता के कारण इस संसार में हमारा अस्तित्व होता है, किंतु जन्म के बाद एक सदगुरु ही व्यक्ति को ज्ञान और अनुशासन का ऐसा महत्व सिखाता है, जिससे व्यक्ति अपने सतकर्मों और सद्विचारों से जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद भी अमर हो जाता है। यह अमरत्व गुरु ही दे सकता है।

सदगुरू ने ही भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया, इसलिए गुरु पूर्णिमा को अनुशासन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस प्रकार व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास गुरु ही करता है। जिससे जीवन की कठिन राह को आसान हो जाती है। सार यह है कि गुरु शिष्य के बुरे गुणों को नष्ट कर उसके चरित्र, व्यवहार और जीवन को ऐसे सद्गुणों से भर देता है, जिससे शिष्य का जीवन संसार के लिए एक आदर्श बन जाता है। ऐसे गुरु को ही साक्षात ईश्वर कहा गया है इसलिए जीवन में गुरु का होना जरूरी है।   (पंडित सुंदर लाल भार्गव: 9811213630)

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें
 
और एस्ट्रोलॉजी ख़बरें
जीरकपुर में आयोजित ज्योतिष सम्मेलन में लोगों के दूर किये दुखड़े ज्योतिष सम्मेलन में किया समस्याओं का समाधान जीरकपुर ज्योतिष सम्मेलन में लोगों ने जाना समस्याओं का समाधान ज्योतिष सम्मेलन में कुंडली दिखाने उमड़े लोग, प्रख्यात ज्योतिषाचार्य नवदीप मदान सम्मनित नामवर ज्योतिष सम्राट नवदीप मदान का सम्मान वास्तु विशेषज्ञ परामर्श के बिना भी अपने घर या कार्यक्षेत्र में कर सकते हैं वास्तु के कुछ खास बदलाव वास्तु के अभाव का प्रभाव हरमिटेज सेंट्रल के ज्योतिष शिविर में सैकड़ों ने दिखाई कुंडली करवा चौथ पर विशिष्ट संयोग,निसंकोच रखें व्रत, करें शुक्रास्त पर भी उद्यापन! हिन्दू त्योहार दो- दो दिन क्यों बताए जाते हैं ?