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करवा चौथ पर विशिष्ट संयोग,निसंकोच रखें व्रत, करें शुक्रास्त पर भी उद्यापन!

October 07, 2022 08:55 AM

    मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् 

इस वर्ष बहुत से शास्त्रीय नियमों का हवाला देकर, तारा डूबने के कारण,करवा चौथ पर उद्यापन करने के लिए मना करके भ्रमित किया जा रहा है और जनसाधारण को असमंजस में डाल दिया है। यह तर्कसम्मत नहीं है। इसके विपरीत ,इस बार करवा चौथ पर विशिष्ट संयोग बन रहे हैं जिन्हें कई विद्वान,बिना देखे ही शुक्रास्त के चक्क्र में , नजर अंदाज किए जा रहे हैं।

इस दिन रोहिणी तथा कृतिका नक्षत्र के अलावा सिद्धि योग भी बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र ,चंद्रमा का सबसे शुभ नक्षत्र माना गया है। शुक्र या गुरु अस्त होने पर ज्योतिषीय दृष्टि से विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं न कि सभी त्योहार। करवा चौथ तो जीवन साथी की दीर्घायु , स्वस्थ जीवन,व्रत रखने,उपहार देने,उद्यापन करने जैसी स्वस्थ परंपराएं निभाने के लिए है जिसमें तारा डूबने के कारण इस पर कोई रोक लगाना तर्कसम्मत नहीं है।

वास्तव में विवाह के शुभ मुहूर्त देखते समय, आकाश में गुरु तथा शुक्र की पोजीशन ठीक होनी चाहिए जो इस बार  पहली अक्तूबर से 28 नवंबर ,2022 तक ठीक नहीं है। इसीलिए अक्तूबर तथा नवंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। यदि तारा डूवने के दौरान, नवरात्र ,दशहरा, भाई दूज, यहां तक कि दिवाली मनाई जा सकती है तो करवा चौथ का व्रत रखने या उसके उद्यापन में क्या दोष है?

देश , काल,पात्र एवं परिस्थितिनुसार हमें आधुनिक समय में शास्त्रों की बहुत सी प्रचलित धारणाओं को बदलने की और उन नियमों के मर्म,भावना तथा आस्था को समझने की आवश्यकता है।

अतः नवविवाहिता, जिनके विवाह के बाद यह पहला करवा चौथ है, वे भी निसंदेह यह व्रत रख सकती हैं और उद्यापन भी कर सकती हैं।

आधुनिक युग में कुंवारे,विवाह योग्य लड़के, पति तक करवा चौथ का व्रत,अपने जीवन साथी के उत्तम स्वास्थ्य,लंबी आयु,जन्म जन्मांतर तक एक दूसरे को पाने के लिए मंगल कामना करते हैं जबकि हम अभी उन नियमों से बाहर नहीं आ पा रहे हैं जो कई सदियों पूर्व लिखे गए थे।शास्त्रों की बात की जाए तो उनके अनुसार, यह व्रत केवल महिलाएं ही रखेंगी।
कहीं पुरुष द्वारा निर्जल व्रत रखने का जिक्र नहीं है। तो क्या पुरुषों का करवा चौथ मनाना शास्त्रों के विरुद्ध हो जाएगा ? हमें समय के अनुसार बदलना आवश्यक है और यही सनातन पद्धति है।

वास्तव में विवाह के शुभ मुहूर्त देखते समय, आकाश में गुरु तथा शुक्र की पोजीशन ठीक होनी चाहिए जो इस बार  पहली अक्तूबर से 28 नवंबर ,2022 तक ठीक नहीं है। इसीलिए अक्तूबर तथा नवंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। यदि तारा डूवने के दौरान, नवरात्र ,दशहरा, भाई दूज, यहां तक कि दिवाली मनाई जा सकती है तो करवा चौथ का व्रत रखने या उसके उद्यापन में क्या दोष है?

सो आप 13 अक्तूबर ,गुरुवार को ,निसंकोच करवा चौथ मनाएं, उद्यापन करें, कहीं दोष नहीं लगेगा।

इस बार तो नर्क चौदस यानी छोटी दिवाली और बडी़ दिवाली आपको एक ही दिन 24 अक्तूबर को मनानी पड़ेगी क्योंकि 25 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण है। गोवर्धन पूजा,अन्नकूट और भाई दूज जैसे पर्व एक ही दिन 26 अक्तूबर को निपटाने पड़ेंगे। आप हर त्योहार , उसकी भावना, अपनी आस्था, परिस्थितियों के अनुसार बिना किसी टेंशन के मनाएं। 

*चंद्रोदय यानी चांद निकलने समय रात 8 बजकर 10 मिनट पर है. महिलाओं को इस समय तक निर्जला व्रत रहना है. करवा चौथ की पूजा का
*शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 15 मिनट तक है.*
करवा चौथ का त्यौहार सरगी के साथ शुरू होता है. यह करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले खाया जाता है. जो महिलाएं करवा चौथ रखती हैं उनके लिए उनकी सास सरगी बनाती हैं. करवा चौथ की शाम के समय चंद्रोदय से 1 घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार की पूजा की विधिवत पूजा की जाती है.

करवा चौथ चतुर्थी तिथि

चतुर्थी तिथि आरंभ-13 अक्तूबर 2022 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट पर
चतुर्थी तिथि का समापन- 14 अक्तूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर

करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त

13 अक्तूबर को शाम 06 बजकर 01 मिनट ले लेकर शाम 07 बजकर 15 मिनट तक
अमृतकाल मुहूर्त- शाम 04 बजकर 08 मिनट से शाम 05 बजकर 50 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक.

करवा चौथ पर चंद्रोदय
13 अक्तूबर को रात 08 बजकर 19 मिनट पर
परंतु कई जगह चांद कुछ late भी दिख सकता है। 

*मदन गुप्ता सपाटू*ज्योतिर्विद्,* 458 सैक्टर ,10 पंचकूला ,मो- 98156-19620

 
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