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चंडीगढ़

पाले का हुआ अंत, दुल्हा बनकर आया बसंत...

February 02, 2025 07:12 PM

फेस2न्यूज/चंडीगढ़,

सेक्टर 27 स्थित चंडीगढ़ प्रेस क्लब में बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, पंचकूला इकाई ने एक काव्य समारोह बसंतोत्सव का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय मासिक पत्रिका कवितावली के मुख्य संपादक सुरेश पुष्पाकर ने मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई। परिषद् की हरियाणा प्रांत उपाध्यक्ष श्रीमती संतोष गर्ग की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में गणेश दत्त बजाज विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

  इकाई महासचिव अनिल शर्मा चिंतक ने संचालन करते हुए कहा कि देश हमारा सबसे न्यारा, सब ऋतुओं का मिले नज़ारा। इसी के साथ ही ग़ज़ल गायक सोमेश गुप्ता की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ व उनके द्वारा गाए गीत मेरा रंग दे बसंती चोला पर सभी सदस्य झूम उठे।

ग्रेट ब्रिटेन से पधारे मुख्य अतिथि सुरेश पुष्पाकर ने सभी आयोजकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि सरस्वती मां कवियों, साहित्यकारों और कलाकारों की देवी है, मां की पूजा के बिना हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। आज इस देवी मां का जन्मदिन है। उन्होंने प्रार्थना की कि सभी कलाकारों की कलम सुख, शांति और आनंद का संदेश दे।


भारतीय संस्कृति की परम्परा अनुसार साहित्य परिषद के सदस्यों ने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों को केसर तिलक लगाकर, पुष्प, माला, अंग- वस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

कृष्णा गोयल ने कहा कि आज का दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है, इस दिन कोई भी कार्यक्रम आरंभ कर सकते हैं, मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती।

विशिष्ट अतिथि गणेश ने कहा कि बसंत में सृष्टि मतवाली हो जाती है, डाल-डाल पर कोयल गाती है। नई उमंगे ताजा हो जाती हैं, कई रंगों की पहन चुनरिया खेतों में फसल लहलहाती है।

सुदेश नूर ने कहा कि लो आ गई बसंत बहार, घूम- घूम कर सारे भंवरे कलियों का मुख चूम रहे हैं।

कवयित्री सुनीता नैन ने वसंत ऋतु पर विरहा गीत सुनाते हुए कहा कि कागा उड़ जा देश पिया के, जैसे पतंग उड़ जाए।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद, इकाई पंचकूला के नव- निर्वाचित अध्यक्ष विनोद शर्मा ने कहा कि पाले का हुआ अंत, दुल्हा बनकर आया बसंत।

रंजन मंगोत्रा ने कहा कि लिखेंगे कहानीकार कहानियां बहुत, मेरा अफसाना कुछ अलग होगा।

ग्रेट ब्रिटेन से पधारे मुख्य अतिथि सुरेश पुष्पाकर ने सभी आयोजकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि सरस्वती मां कवियों, साहित्यकारों और कलाकारों की देवी है, मां की पूजा के बिना हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। आज इस देवी मां का जन्मदिन है। उन्होंने प्रार्थना की कि सभी कलाकारों की कलम सुख, शांति और आनंद का संदेश दे।

इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम के संरक्षक श्री रमेश मित्तल, कवयित्री नीरजा शर्मा की उपस्थिति के साथ-साथ कवितावली पत्रिका की सलाहकार सदस्य इनु शर्मा, प्रेरणा तलवार, नेहा शर्मा, सतपाल सिंह व संजय चौहान भी ऑनलाइन जुड़े रहे।

 
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