लीलाधर शर्मा/फाजिल्का
किसी भी प्रकार की सर्जरी के बाद केवल दवाइयाँ और बिस्तर पर आराम ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि एक सही पुनर्वास प्रक्रिया (Rehabilitation Process) उतनी ही आवश्यक है। विशेषज्ञों के अनुसार, फिजियोथेरेपी इसमें एक निर्णायक भूमिका निभाती है और रोगी को जल्द से जल्द सक्रिय जीवन में वापस लाने में मदद करती है।
श्री सेवक सभा चैरिटेबल अस्पताल, फाजिल्का में कार्यरत फिजियोथेरेपिस्ट (B.P.T., M.P.T. Ortho) शिल्पा डूमड़ा ने बताया कि चाहे वह हड्डियों की सर्जरी हो, फ्रैक्चर के बाद की स्थिति हो, या कोई अन्य ऑपरेशन—सभी में फिजियोथेरेपी बहुत ज़रूरी है।
सर्जरी के बाद क्यों ज़रूरी है फिजियोथेरेपी?
ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञों का भी यही मत है कि फिजियोथेरेपी पुनर्वास प्रक्रिया का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सर्जरी के तुरंत बाद डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह के अनुसार नियमित रूप से शुरू करना अत्यंत आवश्यक है।
फिजियोथेरेपिस्ट शिल्पा डूमड़ा के मुताबिक, ऑपरेशन के बाद शरीर में कमजोरी, जोड़ों में अकड़न, सूजन और चलने-फिरने में कठिनाई होना आम है। फिजियोथेरेपी इन समस्याओं को वैज्ञानिक तरीके से कम करती है और शरीर की ताकत तथा लचीलापन लौटाती है।
मुख्य लाभ:
* गतिशीलता में सुधार: यह जोड़ों की सीमित गति को धीरे-धीरे सामान्य करती है।
* मांसपेशियों को मज़बूत बनाना: बेड रेस्ट के कारण कमज़ोर हुई मांसपेशियों को व्यायाम और थेरेपी से सक्रिय बनाया जाता है।
* दर्द और सूजन में राहत: इलेक्ट्रोथेरेपी और अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकों से दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
* रोगी की आत्मनिर्भरता: रोगी को दोबारा चलने, बैठने और दैनिक कार्य करने में मदद मिलती है।
* जटिलताओं की रोकथाम: समय पर थेरेपी लेने से संक्रमण और जोड़ों की अकड़न जैसी जटिलताओं से बचाव होता है।
ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञों का भी यही मत है कि फिजियोथेरेपी पुनर्वास प्रक्रिया का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सर्जरी के तुरंत बाद डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह के अनुसार नियमित रूप से शुरू करना अत्यंत आवश्यक है।