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राष्ट्रीय

राहुल की सांसदी समाप्ति, कारण सचमुच में मानहानि? या फिर मलिन राजनिति

March 27, 2023 01:07 PM

संजय कुमार मिश्रा:
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की सांसदी 24 मार्च 2023 को लोकसभा सचिवालय के एक नोटिफिकेशन के साथ समाप्त हो चुकी है, जिसमें गुजरात के सूरत कोर्ट के 23 मार्च के फैसले को आधार बताया गया। लेकिन राजनितिक गलियारों में इस फैसले से एक बवाल सा उठ खड़ा हुआ है और ये बवाल ऐसे ही नहीं है बल्कि कई कारणों एवं संदेहों पर टिकी हुई है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि सांसदी ख़त्म करना क्या सचमुच एक मानहानि का है या फिर मलिन/ गन्दी राजनिति का परिणाम?
इसके पहले राहुल गाँधी लोकसभा में सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार से सवाल पर सवाल पूछ रहे थे कि अडानी ग्रुप में 20 हजार करोड़ की इन्वेस्टमेंट किसकी है? एक जेपीसी बनाया जाये एवं इसकी जांच कराई जाए। राहुल गाँधी ने जोर देकर कहा कि हिंडनबर्ग की अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट को भाजपा भारत पर हमला बताती है, मतलब अडानी ही भारत है और भारत ही अडानी। भाजपा और प्रधानमंत्री अडानी को बचाने के लिए क्यों ढाल बनकर खड़ी है?
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि संसद में सवाल पूछने की सजा राहुल को मिली है मानहानि तो एक बहाना है।
क्या था मानहानि का मामला, जिसपर सूरत कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई।
साल 2019 में कर्नाटक के कोलार में राहुल गाँधी ने अपने भाषण में देश के कुछ आर्थिक भगोड़े का जिक्र करते हुए कहा कि, नीरव मोदी, ललित मोदी आदि जितने भी आर्थिक चोर है जिसने देश को आर्थिक चोट दिए उन सबके सरनेम मोदी ही क्यों है?
उपरोक्त भाषण को आधार बनाकर एक बीजेपी नेता ने राहुल गाँधी के खिलाफ सूरत कोर्ट में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई। चूँकि घटना कर्नाटक की थी और शिकायत सूरत में दर्ज कराई गई थी जो कि कानूनी रूप से अधिकार क्षेत्र नहीं बनता था। अपनी स्थिति कमजोर देखकर शिकायतकर्ता ने गुजरात हाई कोर्ट से खुद ही इस मामले की सुनवाई पर स्टे ले आया। फिर जब उस जिला जज की बदली हो गई और दूसरे जज आये और इधर संसद में राहुल गाँधी ने अडानी मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू किया तो शिकायतकर्ता ने सूरत कोर्ट में आवेदन देकर फिर से इस मामले पर सुनवाई शुरू की गुहार लगाई। कहा जाता है कि नए जज ने अधिकार क्षेत्र वगैरह की परवाह किये बिना राहुल गाँधी को दोषी करार दिया एवं जुर्माने के साथ कानूनन अधिकतम दो साल की सजा भी इसलिए दी गई ताकि भाजपा को राहुल की सांसदी ख़त्म करने का एक आधार मिल सके। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर पूरे देश में धरना प्रदर्शन की प्लानिंग कर रही है।
दूसरी तरफ भाजपा ने 2019 के राहुल के भाषण को ओबीसी समाज के खिलाफ बताया और कहा कि इस समाज की बेअदबी बर्दास्त नहीं की जाएगी और सूरत कोर्ट से सही न्याय मिलने के साथ ही भाजपा 6 से 14 अप्रैल तक पूरे देश में कैम्पेन चलाएगी।
राहुल की सांसदी समाप्ति का कारण क्या सचमुच में मानहानि? या फिर गन्दली राजनिति?
मेरा मानना है कि नेताओं की जुबान फिसलने का इतिहास भारत में कोई नया नहीं है, पहले भी कई कांग्रेसी, भाजपाई एवं अन्य नेताओं की जबान फिसली है, लेकिन किसी भी नेता को आज तक कानून में लिखी अधिकतम सजा दो साल की नहीं दी गई है। फिर राहुल गांधी को भाषण के लिए अधिकतम दो साल की सजा दिलाये जाने के पीछे का उद्देश्य ही यही है कि संसद में सवाल पूछने वाले सांसद राहुल गांधी को इस योजना के तहत ही संसद से बाहर किया जा सकता है। वैसे तो दागी सांसद के इलाज के लिए सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स आदि अन्य कई औजार है, लेकिन किसी बेदाग सांसद के ऊपर उपरोक्त औजार काम नहीं करेगा तो दूसरे तरकीब को अपनाया गया जिसका नाम है मानहानि।
अगर सचमुच में ही बीजेपी को मानहानि की और बेअदबी की ज्यादा चिंता है तो कुछ निम्नलिखित मिसाल है जिसपर भी कार्रवाई बनती थी:
1 दिल्ली के शाहीन बाग़ में प्रदर्शन के दौरान एक भाजपा नेता का ये बयान- "देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को" निश्चित ही ये उसी वोटर को गाली है जिसने उस नेता को वोट दिया और जिताया।
2 भाजपा नेता द्वारा सोनिया गांधी को "कांग्रेस की विधवा" एवं "जरसी गाय" की उपाधि भी जरूर याद होगी।
3 भाजपा नेता द्वारा ही एक कांग्रेस नेता की पत्नी को "50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड" का उपाधि भी जरूर याद होगा।
4 चंडीगढ़ की भाजपा सांसद द्वारा ये कहना कि हमने फलाने काम्प्लेक्स में सड़क बनवाई अब अगर यहाँ के लोग मुझे वोट न दे तो उसे छित्तर मारा जाना चाहिये।
उपरोक्त के अलावा और भी कई बयानबाजी है जिसपर कभी भी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई बल्कि उपरोक्त भाषण उन्हें शहद जैसे मीठे लगे, सिर्फ विपक्षी का भाषण ही गलत है और कोर्ट में शिकायत किये जाने योग्य है।
रामनाथ गोयनका अवार्ड वितरण समारोह में इंडियन एक्सप्रेस के संपादक राज कमल झा द्वारा ये उद्धृत करना की जब एक सच बोलने वाले पत्रकार पर आतंकी कानून यू ऐ पी ऐ लगाकर उसे अंदर कर दिया जाए तो ये बोलने की स्वतंत्रता को ख़त्म करने जैसा है।
आज राहुल गांधी की सदन से बर्खास्तगी का मुद्दा अमेरिका तक में छाया हुआ है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख अंटोनियो गुटरस ने कहा कि - राहुल गाँधी की सदन से बर्खास्तगी से हम अवगत है और इसकी अपील की जा सकती है। अमेरिकन कांग्रेस आर ओ खन्ना ने भी इसे दुखद बताया और प्रधानमंत्री मोदी से निवेदन किया है कि लोकतंत्र के इस काले दिवस को आप बदनले में सक्षम है।
राहुल गाँधी पर आरोप लगाने वाले भाजपा नेता जो ये कहते है कि राहुल गाँधी ने विदेश में भारत का नाम ख़राब किया, उनको देखना चाहिए कि आज उनकी ही पार्टी ने दुनिया को भारतीय लोकतंत्र पर ऊँगली उठाने का मौका दे दिया।

 
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