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राष्ट्रीय

मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गाँधी को बड़ी राहत, निचली अदालत के फैसले पर रोक

August 04, 2023 04:49 PM

संजय मिश्रा

मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गाँधी को बड़ी राहत देते हुए आज 4 अगस्त को निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है। राहुल गाँधी की याचिका पर जबतक अंतिम फैसला नहीं आ जाता तब तक ये रोक जारी रहेगी। इस आदेश के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है.

  याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राहुल गांधी के विरोध में दलीलें दे रहे शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से पूछा कि निचली अदालत ने अधिकतम सजा (2 साल ) ही क्यों दिया ? कम सजा भी तो दी जा सकती थी जिससे उनके संसदीय क्षेत्र की जनता का अधिकार भी बाधित नहीं होता।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी जैसे पब्लिक लाइफ में मौजूद व्यक्ति को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. उनके कमेंट सही नहीं थे. सुप्रीम कोर्ट में राहुल गाँधी की अपील पर जस्टिस बी आर गवई, पी एस नरसिम्हा और संजय कुमार ने सुनवाई की।

ज्ञात हो की इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को दी गई दो साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश को 66 दिनों के लिए रिजर्व रखा। राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि इस आदेश के चलते राहुल गांधी बीते दो संसद सत्र में शामिल नहीं हो सके।

राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील अभिषक मुन सिंघवी ने पक्ष रखा. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि जो सजा दी गई है वो बहुत कठोर है. मौजूदा समय में आपराधिक मानहानि न्यायशास्त्र उल्टा हो गया है. मोदी समुदाय अनाकार, अपरिभाषित समुदाय है.

याचिकाकर्ता के पास मानहानि का दावा करने का कोई अधिकार नहीं था. ऐसा मामला नहीं है कि कोई व्यक्ति व्यक्तियों के समूह की ओर से शिकायत दर्ज नहीं कर सकता है. लेकिन व्यक्तियों का वह संग्रह एक 'अच्छी तरह से परिभाषित समूह' होना चाहिए जो निश्चित और दृढ़ हो और समुदाय के बाकी हिस्सों से अलग किया जा सके. सिंघवी ने आगे कहा कि मोदी सरनेम और अन्य से संबंधित प्रत्येक मामला भाजपा के पदाधिकारियों द्वारा दायर किया गया है. यह एक सुनियोजित राजनीतिक अभियान है. इसके पीछे एक प्रेरित पैटर्न दिखाता है.

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के पास मानहानि का दावा करने का कोई अधिकार नहीं था. ऐसा मामला नहीं है कि कोई व्यक्ति व्यक्तियों के समूह की ओर से शिकायत दर्ज नहीं कर सकता है. लेकिन व्यक्तियों का वह संग्रह एक 'अच्छी तरह से परिभाषित समूह' होना चाहिए जो निश्चित और दृढ़ हो और समुदाय के बाकी हिस्सों से अलग किया जा सके. सिंघवी ने आगे कहा कि मोदी सरनेम और अन्य से संबंधित प्रत्येक मामला भाजपा के पदाधिकारियों द्वारा दायर किया गया है. यह एक सुनियोजित राजनीतिक अभियान है. इसके पीछे एक प्रेरित पैटर्न दिखाता है.

सिंघवी ने कहा कि लोकतंत्र में हमारे पास असहमति का अधिकार है. सिंघवी ने आगे कहा कि क्या हुआ, क्या लोकतंत्र में असहमति की अनुमति नहीं है? 'नैतिक अधमता' का ऐसे मामले में गलत प्रयोग किया गया है जो किसी जघन्य अपराध (जैसे, हत्या, बलात्कार या अन्य अनैतिक गतिविधि) से संबंधित नहीं है. सिंघवी ने आगे कहा कि क्या हुआ, क्या लोकतंत्र में असहमति की अनुमति नहीं है? 'नैतिक अधमता' का ऐसे मामले में गलत प्रयोग किया गया है जो किसी जघन्य अपराध (जैसे, हत्या, बलात्कार या अन्य अनैतिक गतिविधि) से संबंधित नहीं है.

पूर्णेश मोदी की ओर से महेश जेठमलानी ने बहस शुरू की. महेश जेठमलानी ने कोर्ट से कहा कि सिंघवी ने भाषण के अपमानजनक हिस्से का उल्लेख नहीं किया है. इस मामले में ढेर सारे सबूत मौजूद हैं. माना कि वह मौजूद नहीं थे लेकिन उन्होंने इसे यूट्यूब पर देखा और पेन ड्राइव में डाउनलोड कर लिया. जेठमलानी ने कहा कि स्पीट को पूरे देश ने सुना है. राहुल गांधी की स्पीच के बारे में अदालत में बताया भी गया है. राहुल गांधी का इरादा मोदी सरनेम वाले लोगों को सिर्फ इसलिए बदनाम करना था क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी भी यही सरनेम लगाते हैं. ऐसे में उन्होंने अपने द्वेषवश पूरे वर्ग को बदनाम किया है.

इसपर जस्टिस गवई ने कहा कि कितने राजनेताओं को याद रहता होगा कि वो क्या भाषण देते हैं. वो लोग एक दिन में 10-15 सभाओं को संबोधित करते हैं . जेठमलानी ने जवाब दिया कि वो मुकदमे का सामना कर रहे हैं. उनके खिलाफ सबूत हैं.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल

किसी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व न होना क्या सजा पर रोक का कोई आधार नहीं है? कोर्ट ने कहा कि ये सजा सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरे संसदीय क्षेत्र को प्रभावित कर रही है. अगर कोई संसदीय क्षेत्र किसी सांसद को चुनता है तो क्या वो क्षेत्र बिना उसके सांसद को उपस्थिति का रहना ठीक है ? जब इस तरह के मामले में अधिकतम सजा दो साल दी गई है? जस्टिस गवई ने कहा कि क्या यह एक प्रासंगिक कारक नहीं है कि जो निर्वाचन क्षेत्र किसी व्यक्ति को चुनता है वह गैर-प्रतिनिधित्व वाला हो जाएगा? कोर्ट ने कहा कि आप न केवल एक व्यक्ति के अधिकार का बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र के अधिकार को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि केवल वह सांसद हैं, यह सजा निलंबित करने का आधार नहीं हो सकता, लेकिन क्या उन्होंने दूसरे हिस्से को भी छुआ है?

राहुल गांधी की सदस्यता बहाली का रास्ता साफ़।

आज के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए राहुल गांधी की ओर से लोकसभा सचिवालय को एक प्रतिवेदन देते हुए अपनी लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग चाहिए। हालांकि इसमें कोई तय समय सीमा नहीं है. लेकिन ये काम जल्दी ही करना होगा.

इसके पहले लक्षद्वीप के NCP सासंद मोहम्मद फैजल को भी जनवरी में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, चुनाव आयोग ने उपचुनाव की भी घोषणा कर दी थी. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट से जैसे ही उनकी सजा काम हुई तो उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई, और उपचुनाव को भी रद्द कर दिया गया था। लेकिन राहुल गांधी के मामले में तो अभी तक वायनाड उपचुनाव की कोई घोषणा भी नहीं हुई है।

 
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