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राष्ट्रीय

अब चुनाव आयोग होगा सत्ताधारी के कब्जे में

August 11, 2023 09:17 AM

संजय कुमार मिश्रा 

केंद्र की मोदी सरकार ने सदन में ऐसा बिल प्रस्तुत किया है जिससे भारत के चुनाव आयुक्त एवं मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन वाली समिति से चीफ जस्टिस को बाहर करके उनके स्थान पर भारत सरकार के किसी कैबिनेट मंत्री को लाया जाएगा जिसे प्रधानमंत्री नामित करेंगे।

अबतक मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के एक आदेश के मुताबिक एक निष्पक्ष चयन समिति बनाया गया था जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता एवं चीफ जस्टिस सदस्य थे जो भारत के चुनाव आयुक्त एवं मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करते थे।

इस बिल के बाद चीफ जस्टिस को हटाकर उनके बदले एक कैबिनेट मंत्री को लाया जाएगा जिसको प्रधानमंत्री नामित करेंगे मतलब की चयन समिति का निर्णय अब वही होगा जो प्रधानमंत्री चाहेंगे, इससे भारत के चुनाव आयोग में यस मैन आयुक्त (हाँ में हाँ मिलाने वाला चुनाव आयुक्त) के चयन का रास्ता साफ़ हो जाएगा।

विपक्षी सांसदों का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे इस बिल का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को कमजोर करना है जिसमें संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों का चयन राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर किया जाएगा। क्योंकि यस मैन आयुक्त से निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पहले तक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केंद्र सरकार ही करती थी, लेकिन चुनाव आयुक्त के द्वारा चुनाव के दौरान सत्ता पक्ष के गलतियों को नजरअंदाज करना और विपक्ष के नेताओं को चुनावी गलती के लिए दण्डित करना सुप्रीम कोर्ट को नागवार गुजरा और कई सारे याचिका को निस्तारित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में ये ब्यवस्था दी थी ।

विपक्षी सांसदों का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे इस बिल का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को कमजोर करना है जिसमें संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों का चयन राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर किया जाएगा। क्योंकि यस मैन आयुक्त से निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है। 

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि मौजूदा व्यवस्था तब तक जारी रहेगी, जब तक संसद इस पर कानून न बना दे। अब चूँकि 14 फरवरी 2024 को आयुक्त अनूप चंद्र पांडे सेवानिवृत हो रहे है तो अपने पसंद के यस मैन को आयुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार हरकत में आ गई है ताकि 2024 के आम चुनाव में मोदी सरकार के हिसाब से चुनाव एवं उसके नतीजे प्रभावित किये जा सके।

केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने ट्विटर पर पोस्‍ट किया, “चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का ज़बरदस्त प्रयास। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा फैसले का क्या जिसमें एक निष्पक्ष पैनल की बात कही गई है?” “प्रधानमंत्री को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है? यह एक असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक है – हम हर मंच पर इसका विरोध करेंगे।”

केंद्र पर कटाक्ष करते हुए, कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनिकम टैगोर ने एक ट्वीट में कहा, “(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी और (केंद्रीय गृह मंत्री अमित) शाह ईसीआई को नियंत्रित करना चाहते हैं जैसा कि वे अब कर रहे हैं। सभी लोकतांत्रिक ताकतों को इसका विरोध करना चाहिए।

यह बिल ऐसे समय लाया जा रहा है जब पूरे विपक्ष का ध्यान अविश्वास प्रस्ताव की बहस पर है। जाहिर सी बात है कि राज्यसभा में हर समय सदन स्थगित किए जाने या सदन बहिष्कार की स्थिति बनी रहती है। सरकार इन हालात का फायदा उठाकर इस बिल को पास कराना चाहती है।

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने कहा है कि ‘बीजेपी खुलेआम 2024 के चुनाव में धांधली की कोशिश कर रही है। मोदी सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेशर्मी से कुचल दिया है और चुनाव आयोग को अपना चमचा बना रही है।

एक्स, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, पर कुछ लंबे पोस्ट में केजरीवाल ने मोदी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का भी आरोप लगाया और कहा कि यह "बहुत खतरनाक स्थिति" है। केजरीवाल ने कहा - "मैंने पहले ही कहा था कि प्रधानमंत्री देश के सर्वोच्च न्यायालय का पालन नहीं करते हैं। उनका संदेश स्पष्ट है - सर्वोच्च न्यायालय का जो भी आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, उसे पलटने के लिए वह संसद के माध्यम से कानून लाएंगे। यह बहुत खतरनाक स्थिति है। प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट का पालन नहीं करते,'' केजरीवाल ने एक्स पर कहा।

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निरस्त करने के लिए मोदी सरकार ने एक ऑर्डिनेंस लाया फिर दिल्ली सेवा विधेयक संसद में पारित करवाया।

 
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