कोलकता, फेस2न्यूज:
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की जीएसटी और अप्रत्यक्ष कर समिति ने भासा भवन, नेशनल लाइब्रेरी, अलीपुर, कोलकाता में जीएसटी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का मूल उद्देश्य अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों के साथ जीएसटी के क्षेत्र में हो रहे बदलाव, तथा इस बदलाव से बहुत सी पेचीदगियां सामने आ रही हैं और उन सूचनाओं को नोट करना, उनका विश्लेषण करना और उसे प्रैक्टिशनर्स तथा अन्य संबंधित लोगों तक पहुँचाना था।
कौंसिल मेंबर,आईसीएआई, और चेयरमैन, जीएसटी और अप्रत्यक्ष कर समिति, आईसीएआई सीए सुशील कु. गोयल ने 6 और 7 अक्टूबर 2023 को आईसीएआई के पूर्वी भारत क्षेत्रीय परिषद (ईआईआरसी) द्वारा आयोजित, इस विषय पर मुख्य रूप से चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा लाभार्थियों, के लिए कार्यक्रम संरचना को ध्यान में रखते हुए 2-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की परिकल्पना की है।
कार्यक्रम का शुभारंभ सीए देबायन पात्रा, चेयरमैन, ईआईआरसी, सीए संजीब सांघी, वाईस चेयरमैन, ईआईआरसी, सीए विष्णु कु. तुलस्यान, सेक्रेटरी, ईआईआरसी एवं सीए मयूर अग्रवाल, ट्रेजरर, ईआईआरसी, की उपस्थिति में हुआ। सीए (डॉ.) देबाशीष मित्रा, इमीडियेट पास्ट प्रेसिडेंट, आईसीएआई ने जीएसटी और अप्रत्यक्ष कर समिति के प्रयासों की सराहना की और ईआईआरसी को इसकी सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए बधाई दी।
जिस उद्देश्य के तहत उक्त सभा आयोजित की गई उस उद्देश्य की पूर्ति हेतु सम्मेलन में विषयों को स्पष्ट रूप से चुना गया था। देश भर से भर से अये प्रतिष्ठित वक्ताओं ने संवादात्मक तरीके से दर्शकों के सामने अपने विचार रखे और यह सुनिश्चित किया कि आने वाले दिनों में उनके ज्ञान और कौशल में वृद्धि हो।
चर्चा में मुख्य रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म, जीएसटी के मुकदमेबाजी पक्ष, जीएसटी के तहत नवीनतम न्यायिक घोषणाएं, ई-वे बिल के विभिन्न मुद्दे, जीएसटी की मांगें, नोटिस और कर पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव आदि जैसे क्षेत्र शामिल थे। दो महत्वपूर्ण पैनल भी थे चर्चा इस विषय पर क्षेत्र के विशेषज्ञों / पैनलिस्टों के महत्वपूर्ण और व्यक्तिगत विचारों को ध्यान में रखते हुए संरचित की गई, 1) जीएसटी @ 2030 - अर्थात, देश में वर्ष 2030 में स्थिति, 2) कर प्रौद्योगिकी - परिवर्तन और पारदर्शिता।
दो दिवसीय सम्मेलन में भाषा भवन में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम ने 3टी यानी प्रौद्योगिकी, समय और विश्वास की वकालत की, जिससे यह पता चला कि तकनीकी सहायता प्राप्त युग के साथ, सभी के बीच विश्वास बनाने के लिए हर किसी को वास्तविक समय के आधार पर अपडेट रहना चाहिए।