अमृतसर, फेस2न्यूज:
मुंबई से लेकर पंजाब के सरहिंद तक, सूरत गुजरात से ले कर दिल्ली मथुरा तक छठ पूजा पर घर जाने वाले भारत के ही लोगों की जो दुर्गति रेलवे मंत्रालय के हाथों हो रही है वे बहुत ही अफसोसजनक और लज्जाजनक है।
प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि क्या सरकारें नहीं जानतीं कि यह तीन सप्ताह दीपावली से पहले और बाद में लोग छठ पूजा मनाने के लिए बिहार के गांव—गांव में जाएंगे और वहां जाने वाले सैकड़ों नहीं, बल्कि लाखों लोग हैं। स्टेशन पर इनकी जो बुरी हालत हो रही है, सामान से भरी बोरियों की तरह जिस तरह यह ठूंस ठूंस कर गाड़ियों में भरे जाने को मजबूर हैं। बच्चों महिलाओं समेत धक्के खा रहे हैं और दो तीन दुर्घटनाओं में तो भारी हानि भी हो गई है, रेलवे उस पर खामोश क्यों है? रेल मंत्री ने क्या कभी स्टेशन पर आकर देखा या रेल उच्चाधिकारी अपने ठंडे गर्म कमरों से बाहर निकलकर जनता तक आए, जिससे जनता अपनी बात कह सके।सबसे ज्यादा दोषी तो वे सांसद, विधायक और मंत्री हैं जो बिहार से ही चुने गए और अपनी जनता को सुविधा से छठ पूजा के लिए घर पहुंचाने का कोई प्रबंध नहीं कर पा रहे। जो सांसद हमेशा बिजनेस क्लास में आकाश में उड़ते हैं या वातानुकूलित प्रथम श्रेणी के गद्देदार डिब्बों में यात्रा करते हैं वे वोट लेकर क्यों भूल जाते हैं कि यह उन्हीं के मतदाता हैं जिन्होंने वोट देकर उन्हें सांसद और मंत्री बनाया है।
सबसे ज्यादा दोषी तो वे सांसद, विधायक और मंत्री हैं जो बिहार से ही चुने गए और अपनी जनता को सुविधा से छठ पूजा के लिए घर पहुंचाने का कोई प्रबंध नहीं कर पा रहे। जो सांसद हमेशा बिजनेस क्लास में आकाश में उड़ते हैं या वातानुकूलित प्रथम श्रेणी के गद्देदार डिब्बों में यात्रा करते हैं वे वोट लेकर क्यों भूल जाते हैं कि यह उन्हीं के मतदाता हैं जिन्होंने वोट देकर उन्हें सांसद और मंत्री बनाया है। भारत जैसे देश के लिए यह दुख और लज्जा का विषय है कि हमारे देशवासियों को अपने घर में त्यौहार मनाने के लिए इतनी कठिनाइयां झेलकर धक्के खाकर जाना पड़ता है और बहुत से तो जा भी नहीं सकते। भारत सरकार और रेल मंत्रालय से निवेदन है कि जो कठिनाई इस बार आई है वह भविष्य में कभी नहीं आनी चाहिए।