गौड़ीय मठ में श्री राधा अष्टमी धूमधाम से मनाई गई
चण्डीगढ़ : श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, सेक्टर 20 में श्री राधा प्रकटोत्सव राधाष्टमी महोत्सव बहुत ही उल्लास धूमधाम एवं विधि-विधान से मनाया गया।
मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि सुबह से ही भक्तों में उत्साह और जोश भरा हुआ था। सुबह 4:30 बजे मंगला आरती का आयोजन किया गया। भक्तों ने नृत्य संकीर्तन कर राधा रानी जी के प्रकट महोत्सव की बधाई-भजन गाकर वातावरण भक्तिमय बना दिया। मंदिर को बहुत ही आकर्षक गुलाब के रंग बिरंगे फूलों के साथ सजाया गया था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं रामदेवी जिंदल इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंध निदेशक राजीव जिंदल रहे।
भक्तों को संबोधित करते हुए मठ के स्वामी बामन जी महाराज जी ने बताया कि आज ही के दिन राधा रानी इस धरातल पर मथुरा स्थित रावल नामक स्थान पर प्रकट हुई थीं। इनके पिता राजा वृषभानु जी जब सरोवर में कमल का फूल लेने के लिए गए, तो कमल के फूल में जागृत अवस्था में बालिका के रूप में राधा रानी प्रगट अवस्था में मिली थीं। गर्ग संहिता पुराण के अनुसार राधा रानी भगवान श्री कृष्ण जी की शक्ति की स्वरूप हैं, धन-वैभव की देवी मां लक्ष्मी भी शक्ति की मूल केंद्र बिंदु हैं, लक्ष्मी जी राधा रानी जी की कांति का एक रूप है, इसलिए राधा रानी जी स्मरण करने से, उनकी भक्ति करने से, उनकी आराधना करने से, उनका संकीर्तन करने से उनको किसी प्रकार का भेंट देने से, भगवान कृष्ण की भक्ति प्राप्त होती है और जीवन सुख समृद्धि वैभव प्राप्त होता है। भगवान श्री कृष्ण जी को प्रसन्न करने का एक ही मूल मंत्र है, और वो है राधा रानी जी की कृपा प्राप्त कर लेना। स्वामी वामन महाराज जी ने ने बताया कि पूरे वर्ष में राधा रानी जी के चरणों के दर्शन नहीं होते। सिर्फ राधा अष्टमी ही के दिन को राधा रानी जी के चरण कमल के दर्शन होते हैं तथा उनके चरण कमल के दर्शन करने से भगवान कृष्ण की भक्ति प्राप्त होती है, दुखों का निवारण होता है व घर में सुख-शांति आती है।