पहले मिला था चार दिन का रिमांड, पुलिस ने चार और आरोपियों के नाम जोड़े, डाटा स्टोरेज के बिजनेस के नाम पर लोगों से ठगी करने का आरोप
पिंकी सैनी /डेराबस्सी
पुलिस ने नकली और पुराने बंद नोटों के साथ पकड़े गए दो आरोपियों — सचिन और गुरदीप — को चार दिन का रिमांड खत्म होने के बाद अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें तीन दिन का और पुलिस रिमांड मिला है। इससे पहले उन्हें चार दिन के रिमांड पर भेजा गया था। पुलिस ने अदालत से सात दिन का रिमांड मांगा था, लेकिन अदालत ने तीन दिन का ही रिमांड मंजूर किया।
पुलिस ने इस मामले में चार और आरोपियों — सलीश, विक्रम, शैफी और मनजीत — को नामजद किया है।अदालत में आए पीड़ितों, जिनमें हिसार निवासी सीताराम और सागर शामिल हैं, ने बताया कि आरोपी खुद को ऑनलाइन डेटा स्टोरेज कंपनी का प्रतिनिधि बताते थे। वे झूठा दावा करते थे कि उनकी कंपनी का टाई-अप एलन मस्क की कंपनी के साथ है। इन आरोपियों ने निवेश के नाम पर लोगों को ज़ीरकपुर स्थित ऑफिस में बुलाकर लाखों रुपये ठग लिए।इसके बाद आरोपियों ने पीड़ितों को यह कहकर फंसाया कि उनके पास करोड़ों रुपये के पुराने और बंद 2000 रुपये के नोट हैं, जिन्हें वे आरबीआई में बदलवाना चाहते हैं, लेकिन अपनी कंपनी के नाम से नहीं बदलवा सकते। उन्होंने नए लोगों की प्रोफाइल की जरूरत बताते हुए उन्हें नोट बदलवाने पर 25 से 50 प्रतिशत कमीशन देने का लालच दिया।
वे लोगों को नकली और पुराने नोट दिखाकर झांसे में लेते थे और एक व्यक्ति सलीश से मिलवाते थे जो खुद को आरबीआई अधिकारी बताता था।आरोपियों ने लोगों से कहा कि नोट बदलवाने से पहले एक सरकारी बैंक में फीस जमा करनी होती है। इस बहाने वे लोगों से बैंक खाते में पैसे जमा करवाते और फिर कभी अधिकारी के न मिलने या बीमारी का बहाना बना कर उन्हें टालते रहते थे। जब लोगों को शक हुआ तो सागर नामक व्यक्ति ने पुलिस को शिकायत दी और पुलिस ने दोनों मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
पीड़ितों के अनुसार यह एक बड़ा गिरोह है जो कई राज्यों में करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है। अब तक सात आरोपी सामने आ चुके हैं। इनके खिलाफ पहले भी मोहाली फेज-1, महाराष्ट्र के ठाणे, गुजरात, जालंधर और रूपनगर में धोखाधड़ी के केस दर्ज हैं।कैप्शन: पुलिस आरोपियों को अदालत में पेश करने के लिए ले जाती हुई।अलग बॉक्स:
आरोपियों ने नोटबंदी के समय पुराने नोटों को बदलवाने के नाम पर लोगों को ठगा था। उन्होंने बंद और दो हजार रुपये के नोटों को जमा करके लोगों को करोड़ों रुपये होने का लालच दिखाया। कई बार ऊपर असली नोट रखकर अंदर नकली नोट रखकर वे लोगों को धोखे में लेते थे।