राज सदोष, अबोहर
महाराष्ट्र के नासिक केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के तत्वाधान में तीन दिवसीय ‘उत्कर्ष महोत्सव’ का भव्य शुभारंभ हुआ। महोत्सव के पहले दिन "आगामी 10 वर्षों की संस्कृत संवर्धन योजना" विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु पंकज टी चांदे ने संस्कृत शिक्षा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा पर विचार रखते हुए कहा कि “संस्कृत शिक्षा में आधुनिकता लाना अति आवश्यक है। वेद अध्ययन के साथ-साथ कंप्यूटर और अंग्रेजी भाषा को जोड़ते हुए संस्कृत की उपयोगिता आम जनता तक पहुंचाना चाहिए।” उन्होंने सुझाव दिया कि देशभर के संस्कृत विश्वविद्यालयों का एक संगठन गठित होना चाहिए.
इस परिसंवाद में देशभर के लगभग 18 संस्कृत विश्वविद्यालयों और संस्थाओं के कुलपति प्रो. जी.एस.आर. कृष्णमूर्ति (तिरुपति), प्रो. मुरली मनोहर पाठक (नई दिल्ली), प्रो. मदनमोहन झा निदेशक शैक्षणिक परिसर प्रो. रावेरी गायत्री मुरली कृष्ण कुलसचिव केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. सुकांत सेनापति (गुजरात), प्रो. प्रह्लाद जोशी (असम), प्रो. हरे राम त्रिपाठी (रामटेक), प्रो. प्रसाद जोशी (पुणे), आचार्य रामसलाही द्विवेदी, प्रो. श्रीधर मिश्र, प्रो. रमाकांत पांडेय, प्रो. सुदेश कुमार शर्मा, प्रो. वाई.एस. रमेश प्रो शिवशंकर मिश्र प्रो ज्ञान रंजन पंडा सहित कुलगुरु व प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी ने कहा-“जैसे संगीत में लय होती है, वैसे ही शास्त्र और छात्र के बीच समन्वय आवश्यक है।” उन्होंने ऐसे विद्यार्थियों को तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया जो आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में भारतीय ज्ञान परंपरा को पढ़ा सकें।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. कुलदीप शर्मा ने किया। प्रो. मधुकेश्वर भट्ट केन्द्रीय योजना निदेशक, डॉ. गणेश टी. पंडित परीक्षा नियंत्रक,प्रो पवन कुमार, डॉ. अमृता कौर, डॉ. के.सांबशिव मूर्ति सहित देशभर के संस्कृत विद्वान् उपस्थित रहे।
इस परिसंवाद में देशभर के लगभग 18 संस्कृत विश्वविद्यालयों और संस्थाओं के कुलपति प्रो. जी.एस.आर. कृष्णमूर्ति (तिरुपति), प्रो. मुरली मनोहर पाठक (नई दिल्ली), प्रो. मदनमोहन झा निदेशक शैक्षणिक परिसर प्रो. रावेरी गायत्री मुरली कृष्ण कुलसचिव केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. सुकांत सेनापति (गुजरात), प्रो. प्रह्लाद जोशी (असम), प्रो. हरे राम त्रिपाठी (रामटेक), प्रो. प्रसाद जोशी (पुणे), आचार्य रामसलाही द्विवेदी, प्रो. श्रीधर मिश्र, प्रो. रमाकांत पांडेय, प्रो. सुदेश कुमार शर्मा, प्रो. वाई.एस. रमेश प्रो शिवशंकर मिश्र प्रो ज्ञान रंजन पंडा सहित कुलगुरु व प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
संस्कृत के प्रसिद्ध लेखक नित्यानंद मिश्र को ‘संस्कृत सेवाव्रती पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।