ENGLISH HINDI Friday, December 19, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय की लापरवाही, आरटीएस कमीशन ने 15 हजार के जुर्माने व शिकायतकर्ता को 5 हजार मुआवजा देने के आदेशराज्यपाल ने आईएएंडएएस अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ कियाविदेशी निवेश के विरोध में भारतीय जीवन बीमा निगम पंचकूला एम्प्लॉइज यूनियन ने धरना और प्रदर्शन कियाफीडफ्रंट के नवनिर्वाचित पत्रकारों ने शपथ ग्रहण कीपंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक ने समाजसेवी बलविंदर सिंह को किया सम्मानित वो जब याद आए… मोहम्मद रफ़ी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि'मैदान' भारत में किसी भी खेल पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मआचार्य कुल संस्था और संवाद साहित्य मंच द्वारा नलिन आचार्य के नाम से अवार्ड की घोषणा
कविताएँ

शिव पराकाष्ठा हैं

February 15, 2023 11:19 AM

शिव पराकाष्ठा हैं।

राग की, वैराग्य की।
स्थिरता की, दृढ़ता की।
ध्यान की, विज्ञान की।
ज्ञान के प्रकाश की।।
वे समेटे हैं।
प्रेम को, क्रोध को।
शांति को, भ्रांति को।
त्याग को, विश्वास को।
भक्ति को, शक्ति को।।
शिव स्त्रोत हैं।
प्राण का, प्रमाण का।
धर्म का, कर्म का।
आचार का, विचार का ।
अंधकार के विनाश का।।
उनमे समाए हैं।
गीत भी, संगीत भी।
विष भी, अमृत भी।
समय भी, विनय भी।
आरम्भ भी अंत भी।।
लोग कहते है, शिव संहारक हैं,
वो संहार करते हैं,अंत करते हैं।
परंतु वह भूल जाते हैं कि
शंकर अंत करके एक नई शुरुआत का आरम्भ करते हैं।
वे सृजन भी करते हैं, संहार भी करते हैं।
ज़रूरत पड़ने पर चमत्कार भी करते हैं।
शिव ब्रह्मा भी हैं वेद भी।
जीवन का हैं भेद भी ।
शिव नारी भी हैं, पुरुष भी।
माया भी हैं, मोक्ष भी।।
वो निर्गुण भी हैं, सगुण भी।
सात्विक भी है, तामसिक भी।
ध्वनी भी हैं, दृष्टि भी।
श्वास भी हैं, मुक्ति भी।।
वो साधन भी हैं साधना भी।
चिंता भी हैं, और चिंतन भी।
वो अंदर भी हैं, बाहर भी।
और मुझ में भी हैं, तुझ में भी।।

— मेधावी महेंद्र

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें