ENGLISH HINDI Monday, October 20, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
तथास्तु चैरिटेबल स्कूल ने मनाया दिवाली उत्सवनायब सरकार ने किसानों की दीपावली की बढाई मिठास, गन्ने के समर्थन मूल्य में की बढ़ोतरीमुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 50वें अखिल भारतीय बालक अंडर-17 क्रिकेट टूर्नामेंट की महाराजा अग्रसेन ट्रॉफी का अनावरण कियासीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन ने अक्तूबर महीने में जन्मे वरिष्ठ सदस्यों का जन्मदिन धूमधाम से मनायाराह की माटी पे कदमों के निशां बनते रहे असम में पत्रकारों पर हमलों को लेकर प्रेस एम्बलम कैंपेन ने जताई गहरी चिंता, दोषियों पर कार्रवाई की माँगरयात बाहरा विश्वविद्यालय में निवेशक जागरूकता कार्यक्रम ने छात्रों को सशक्त बनायाआ रहे हैं वो मेरे साईं...
कविताएँ

शिव पराकाष्ठा हैं

February 15, 2023 11:19 AM

शिव पराकाष्ठा हैं।

राग की, वैराग्य की।
स्थिरता की, दृढ़ता की।
ध्यान की, विज्ञान की।
ज्ञान के प्रकाश की।।
वे समेटे हैं।
प्रेम को, क्रोध को।
शांति को, भ्रांति को।
त्याग को, विश्वास को।
भक्ति को, शक्ति को।।
शिव स्त्रोत हैं।
प्राण का, प्रमाण का।
धर्म का, कर्म का।
आचार का, विचार का ।
अंधकार के विनाश का।।
उनमे समाए हैं।
गीत भी, संगीत भी।
विष भी, अमृत भी।
समय भी, विनय भी।
आरम्भ भी अंत भी।।
लोग कहते है, शिव संहारक हैं,
वो संहार करते हैं,अंत करते हैं।
परंतु वह भूल जाते हैं कि
शंकर अंत करके एक नई शुरुआत का आरम्भ करते हैं।
वे सृजन भी करते हैं, संहार भी करते हैं।
ज़रूरत पड़ने पर चमत्कार भी करते हैं।
शिव ब्रह्मा भी हैं वेद भी।
जीवन का हैं भेद भी ।
शिव नारी भी हैं, पुरुष भी।
माया भी हैं, मोक्ष भी।।
वो निर्गुण भी हैं, सगुण भी।
सात्विक भी है, तामसिक भी।
ध्वनी भी हैं, दृष्टि भी।
श्वास भी हैं, मुक्ति भी।।
वो साधन भी हैं साधना भी।
चिंता भी हैं, और चिंतन भी।
वो अंदर भी हैं, बाहर भी।
और मुझ में भी हैं, तुझ में भी।।

— मेधावी महेंद्र

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें